Monday, December 7, 2009

बच्चन संध्या – 4 डॉक्टर पुष्पा भारती - प्रथम खंड

बच्चन संध्या – 4 डॉक्टर पुष्पा भारती - प्रथम खंड

डॉक्टर धर्मवीर भारती जी की पत्नी को अगर डॉक्टर बच्चन के जीवन की चलती- फिरती एनसाइक्लोपीडिया की संज्ञा दी जाये तब इसे अतिश्योक्ति समझना सर्वथा अनुचित ही कहा जा सकता है । उन्होने कई बातें बच्चन संध्या के अवसर पर बताईं, कुछ एक मुझे पहले से ह ज्ञात थी, बहुत सी बातें पहले-पहल सुनने में आईं ।

मसलन वे स्वयं डॉक्टर बच्चन बन कर कवि-सम्मेलनों में भी जाती थीं । जब उन्होने बताया कि कैसे वे चिमटे को गरम करके अपने सीधे बालों को घुंघराले बनाने का प्रयास करतीं थी, सुनकर बरबस हंसी ही आ गई थी । एक अन्य किस्सा उन्होने अपने सूट सिलवाने के बारे में जब बताया तब मुझे शायद इसलिये भी रुचिकर लगा हो कयोंकि उस दिन सुबह ही मैने भाईसाहब के सूट के बारे में टिप्पणी करते हुये यहां ब्लाग पर लिखा था ।

पुष्पा जी बताती है जब उन्होने अपने घर वालों से अपने लिये सूट सिलाने की बात कही तो घर वालों ने लापरवाही दिखाई, लड़कियां भी कहीं सूट पहनती है क्या ? यहां प्रसंग अधूरा लग रहा है, मै यह बताना भूल गया कि डॉक्टर बच्चन अन्य कवियों से हटकर थे, जहां अधिकतर कवि कुर्ता-पजामा या धॊती-कुर्ता पहनते थे वहीं अपने बच्चन जी सूट-बूट पहनकर ही कविता पाठ करते थे । अब अगर मंच पर बच्चन जी बनकर जाना है तब लाजिमी सी बात है उनके जैसा हुलिया भी हो । खैर साहब, बात आई-गई हो गयी पर जब घर की सारी कार्निशें पुरस्कार इनामों से भरने लगीं तब मजबूरन घर वालों ने उनकी इस सूट की फर्माइश पर आपत्ति नही जताई, हां दर्जी से यह अवश्य कह दिया गया था कि भैया सूट जरा बड़ा ही बनाना जिससे लड़की कम से कम 3-4 साल उसे पहन सके ।

समय के अभाव में मैने पहले भी अध्यायों को खंडों में विभाजित किया था इसी कारण इस प्रसंग के साथ प्रथम खंड यहीं समाप्त करता हूं । अगले चरण में डॉक्टर बच्चन की मिस तेजी सुरी से मुलाकात का प्रसंग लेकर हम इस पथ पर आगे बढ़ेंगें ।

अभय शर्मा

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