Param Shraddheya Dr. Bachchan
I know that you are not with us today physically but in the form of your everlasting Poetry especially Madhushala you would always be there with us eternally..
Here I share some of the poetry written by her and available under Meri Shrestha Kavitayen..
1. Madhushala p. 34
छोटे से जीवन में कितना प्यार करूँ पी लूं हाला..
आने के ही साथ जगत में कहलाया जाने वाला..
स्वागत के ही साथ विदा की होती देखि तैयारी..
बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन मधुशाला...
2. Kaun Tum Ho p. 151
आज परिचय की मधुर
मुस्कान दुनिया दे रही है
आज सौ सौ बात के
संकेत मुझसे ले रही है..
विश्व से मेरी अकेली
यदि नहीं पहचान तुम हो ,
कौन तुम हो ?
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